(हर व्यक्ति को पढना चाहिए)
1●कोई भी व्यक्ति बिना कर्म के नही रह सकता इसे दायित्व की पूर्ति के लिए किया जाता है अथवा किया जाना चाहिए उसे कर्तव्य कहते है
2● गीता के आधार पर मनुष्य का कर्तव्य हैसमाज मे शान्ती व एकता बनाए रखना अपने देश का सम्मान करना और अपनो से बडो का पूरा सम्मान करना
3● गीता के अनुसार जो दूसरे का अधिकार होता है वही हमारा कर्तव्य होता है अपने कर्म द्वारा दूसरे का कर्तब्य देखना हमारा कर्तव्य नही है
4● दूसरे का कर्तव्य देखने से स्वयं कर्तब्यचुत हो जाता है
5● मनुष्य का सबसे बड़ा कर्तव्य है अपने शरीर व परिवार की रक्षा करना व देखभाल करना
6● गीता मे कर्म को प्रधानता दी गई है कर्म अकर्म से श्रेष्ठ है मनुष्य कर्म ही न करे यह उचित नही है इसे अकर्मण्य ही कहा जायेगा कृष्ण ने स्वम कहा है नियतम् कुरूकर्म त्वं कर्मो ज्या ह्यकरमणः
7● मनुष्य का पहला धर्म है मानव व जीवो की सेवा करना
8● भाग्य व कर्म मे कौन श्रेष्ठ है कर्म ही भाग्य का निर्माता होता है अतः कर्म ही श्रेष्ठ है
9● लोग कहते है कि किस्मत का लिखा कोई मिटा नही सकता जिस काम से डर लगे उसे करके दिखाना ही साहस की परिभाषा है क्योकि हमेसा समझोता करना शीखना चाहिए थोड़ा सा झुक जाना हमेशा रिश्ते को जोडने का काम करताहै
10● जिस घर मे मीठी वाणी बोली जाती है वह स्वर्ग के समान होता है भाग्य भविष्य का एक रूप है प्रत्येक निर्णय उसे वर्तमान की तरफ ले जाता है अतः जैसा कर्म करोगे वैसा भाग्य भी मिलेगा
धन्यवाद
गिरीश चंद्र पाण्डेय बीज भण्डार सिकन्दरा कानपुर देहात 9358552145 आज की स्थिति में (जन हित में जारी) पढे और शेयर करे
